होम लोन की ये 5 गलतियां पड़ सकती हैं भारी! घर खरीदने से पहले जरूर जानें – Home Loan Guidelines

By Prerna Gupta

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 Home Loan Guidelines – घर खरीदना हर किसी का सपना होता है। हम सालों तक पैसे जोड़ते हैं, बजट बनाते हैं, और फिर जाकर होम लोन लेकर अपने सपनों के आशियाने की ओर कदम बढ़ाते हैं। लेकिन अक्सर इस प्रक्रिया में हम कुछ ऐसी छोटी-छोटी गलतियां कर बैठते हैं, जो बाद में बड़ा नुकसान बनकर सामने आती हैं। होम लोन कोई छोटी रकम नहीं होती, इसलिए इसमें जरा सी चूक भी आपके फाइनेंशियल प्लान को बिगाड़ सकती है।

अगर आप पहली बार होम लोन लेने की सोच रहे हैं, या पहले भी ले चुके हैं लेकिन फिर से लेने का प्लान बना रहे हैं, तो इन 5 जरूरी बातों को जान लेना बेहद जरूरी है। इससे न केवल आपको सही लोन मिलेगा बल्कि आपको फालतू के ब्याज और जुर्माने से भी छुटकारा मिलेगा।

1. कम डाउनपेमेंट करने की गलती न करें

बहुत से लोग होम लोन लेते समय सबसे कम डाउनपेमेंट देने की कोशिश करते हैं ताकि जेब पर तुरंत असर न पड़े। लेकिन यह आदत लंबे समय में भारी पड़ सकती है।

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आरबीआई के नियमों के अनुसार, बैंक प्रॉपर्टी के कुल मूल्य का अधिकतम 75% से 90% तक का लोन देते हैं। बाकी आपको डाउनपेमेंट के रूप में देना होता है। अब अगर आप सिर्फ 10% का डाउनपेमेंट देते हैं, तो आपको बाकी रकम पर ज्यादा ब्याज देना होगा।

बेहतर क्या है?
अगर आप 20% या उससे ज्यादा डाउनपेमेंट करते हैं तो आपको कम ब्याज दर मिल सकती है, लोन अप्रूवल जल्दी हो सकता है और आपकी EMI भी कम हो जाएगी। साथ ही बैंक को भी लगेगा कि आप एक सीरियस और भरोसेमंद उधारकर्ता हैं।

2. क्रेडिट स्कोर की अनदेखी न करें

आप चाहे जितना भी बड़ा डाउनपेमेंट करें, लेकिन अगर आपका क्रेडिट स्कोर खराब है तो लोन मिलने की संभावना बहुत कम हो जाती है। बैंकों के लिए क्रेडिट स्कोर एक भरोसेमंद इंडिकेटर होता है कि आपने अब तक अपने लोन या क्रेडिट कार्ड का भुगतान समय पर किया है या नहीं।

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कितना स्कोर होना चाहिए?
750 या उससे ऊपर का स्कोर अच्छा माना जाता है। 800+ स्कोर पर तो कई बार बैंकों की तरफ से ऑफर भी आते हैं जैसे कम ब्याज, फ्री प्रोसेसिंग और ज्यादा लोन अमाउंट।

क्या करें?
लोन लेने से पहले अपना क्रेडिट स्कोर जरूर चेक करें। अगर यह 700 से कम है, तो कुछ महीने पहले से ईएमआई और क्रेडिट कार्ड के बिल समय पर भरें ताकि स्कोर सुधर सके।

3. सिर्फ एक बैंक पर निर्भर न रहें, तुलना जरूर करें

बहुत से लोग पहली ही बैंक से होम लोन लेने का निर्णय ले लेते हैं, जबकि हर बैंक की ब्याज दरें, प्रोसेसिंग फीस, लोन अवधि और शर्तें अलग-अलग होती हैं।

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क्या करें?
कम से कम 4-5 बैंकों या एनबीएफसी की होम लोन ऑफर्स की तुलना करें। इसके लिए आजकल ऑनलाइन टूल्स भी मिल जाते हैं, जहां आप ब्याज दर, ईएमआई, प्रोसेसिंग फीस और अन्य शुल्कों की तुलना कर सकते हैं। इससे आप अपने लिए सबसे सस्ता और सुविधाजनक लोन चुन सकते हैं।

4. EMI की क्षमता का आकलन करें

लोन लेने से पहले खुद से यह सवाल जरूर पूछें – क्या मैं इस EMI को हर महीने आसानी से चुका पाऊंगा?

बैंक आपकी इनकम का 50% से ज्यादा EMI में नहीं रखना चाहते। यानी अगर आपकी महीने की सैलरी ₹50,000 है, तो आपकी EMI ₹25,000 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

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क्या करें?
होम लोन EMI कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें। इससे आप जान पाएंगे कि कितनी राशि का लोन आप ले सकते हैं और आपकी EMI कितनी होगी। कोशिश करें कि EMI आपकी सैलरी का 30% से ज्यादा न हो, ताकि बाकी खर्च भी आराम से चल सके।

5. EMI के लिए इमरजेंसी फंड जरूर बनाएं

मान लीजिए अचानक नौकरी चली गई, या किसी हेल्थ इमरजेंसी में आपको ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ी। उस समय भी EMI तो भरनी ही होगी। अगर आपने कोई इमरजेंसी फंड नहीं बना रखा है, तो न सिर्फ EMI चूक होगी, बल्कि उस पर पेनाल्टी और आपका क्रेडिट स्कोर भी बिगड़ जाएगा।

क्या करें?
कम से कम 6 महीने की EMI के बराबर रकम एक अलग सेविंग अकाउंट में रखें। इसे तभी इस्तेमाल करें जब वाकई कोई इमरजेंसी हो। इससे आप मानसिक रूप से भी शांति महसूस करेंगे और वित्तीय संकट से बच सकेंगे।

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कुछ एक्स्ट्रा टिप्स जो आपको मदद कर सकते हैं

  • टैक्स बेनिफिट का फायदा उठाएं – होम लोन पर सेक्शन 80C और 24(b) के तहत टैक्स छूट मिलती है। इसका पूरा लाभ उठाएं।
  • प्रॉपर्टी की वैल्यू जांचें – कई बार लोन अमाउंट प्रॉपर्टी की सही वैल्यू पर आधारित नहीं होता। किसी रजिस्टर्ड वैल्यूअर से प्रॉपर्टी की वैल्यू पता करें।
  • फ्लोटिंग या फिक्स्ड रेट समझदारी से चुनें – दोनों के अपने फायदे-नुकसान हैं। फिक्स्ड रेट EMI स्थिर रखती है, जबकि फ्लोटिंग में ब्याज घटने पर फायदा होता है।

होम लोन लेते वक्त सिर्फ ब्याज दर नहीं, बल्कि पूरी प्रक्रिया को समझना जरूरी है। एक बार गलत निर्णय ले लिया तो सालों तक उसका असर भुगतना पड़ सकता है। इसलिए सोच-समझकर फैसला लें, अपने क्रेडिट स्कोर को सुधारें, इमरजेंसी फंड बनाएं और सही बैंक या लेंडर का चयन करें।

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