बैंक चेक के पीछे साइन न किया तो अटक सकता है पेमेंट! जानिए ये जरूरी नियम Bank Cheque Rule

By Prerna Gupta

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Bank Cheque Rule – अगर आप बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो चेक का नाम आपने ज़रूर सुना होगा। बहुत से लोग आज भी चेक से पेमेंट करना या लेना पसंद करते हैं, खासकर जब ट्रांजैक्शन बड़ी रकम का हो या पक्का सबूत चाहिए हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चेक के पीछे साइन करना हर बार ज़रूरी नहीं होता? बल्कि, कुछ खास मामलों में ही इसके पीछे साइन करना जरूरी होता है और अगर आप बिना समझे ऐसा करते हैं, तो इसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है।

आज हम इसी बारे में बात करने वाले हैं कि आखिर चेक के पीछे साइन करने के नियम क्या हैं, कब ऐसा करना जरूरी है और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आप किसी वित्तीय नुकसान से बच सकें।

चेक क्या होता है?

सबसे पहले समझिए कि चेक होता क्या है। ये एक लिखित ऑर्डर होता है, जिसे आप बैंक को देते हैं कि वो आपके खाते से किसी विशेष व्यक्ति को एक निश्चित राशि का भुगतान करे।

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चेक को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है:

  1. बियरर चेक (Bearer Cheque):
    इसमें “या वाहक” लिखा होता है और इसे कोई भी व्यक्ति बैंक में जाकर भुना सकता है। इस पर नाम जरूरी नहीं होता।
  2. क्रॉस्ड चेक (Crossed Cheque):
    इसमें दो समानांतर लाइनें ऊपर खींची जाती हैं और ये सिर्फ नामित व्यक्ति के खाते में ही जमा किया जा सकता है, कैश में नहीं।

चेक के पीछे साइन कब करना होता है जरूरी?

चेक के पीछे साइन करना हर चेक में जरूरी नहीं होता। ये सिर्फ खास परिस्थितियों में किया जाता है, जैसे:

  • बियरर चेक में:
    अगर आप बियरर चेक को किसी और को देना चाहते हैं, तो उसके पीछे साइन करना जरूरी होता है। इसे एंडोर्समेंट कहते हैं।
    उदाहरण के लिए, आपने चेक किसी दोस्त को दिया और आप चाहते हैं कि वह उसे अपने खाते में जमा कर ले, तो आपको चेक के पीछे उसका नाम और अपना साइन लिखना होगा।
  • ट्रांसफरेबल चेक में:
    जब आप चाहते हैं कि चेक की राशि किसी तीसरे व्यक्ति को मिले, तो उसके लिए भी पीछे साइन करना ज़रूरी है।

चेक के पीछे साइन करने के क्या खतरे हैं?

अब सबसे जरूरी बात – इसके जोखिम क्या हैं?

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  • अगर आपने किसी अनजान या गैर-भरोसेमंद व्यक्ति को ऐसा चेक दिया, तो वह इसका दुरुपयोग कर सकता है।
  • साइन किया हुआ चेक अगर खो जाए तो कोई भी व्यक्ति बैंक जाकर पैसा निकाल सकता है (अगर वह बियरर चेक है)।
  • चेक पर साइन करते समय अगर आपने यह नहीं लिखा कि यह केवल अकाउंट में जमा करने के लिए है, तो कोई व्यक्ति उसे नकद भी निकाल सकता है।

कुछ जरूरी सावधानियां

अगर आप चेक के पीछे साइन कर रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान ज़रूर रखें:

  1. विश्वसनीय व्यक्ति को ही चेक दें।
  2. “For Account Payee Only” या “Only for (व्यक्ति का नाम)” लिखें।
  3. कभी भी खाली चेक पर साइन न करें। पहले पूरी जानकारी भरें।
  4. क्रॉस्ड चेक को प्राथमिकता दें अगर आप सुरक्षित ट्रांजैक्शन चाहते हैं।

क्रॉस्ड चेक को कैसे बनाएं और इसके फायदे

अगर आप चाहते हैं कि चेक केवल किसी के खाते में ही जमा हो, तो क्रॉस्ड चेक का इस्तेमाल करें।

क्रॉस्ड चेक बनाने का तरीका:

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  • चेक के ऊपरी बाएं कोने पर दो समानांतर लाइन खींचिए।
  • इनके बीच में लिखिए “Account Payee” या “A/C Payee Only”।

इसके फायदे:

  • चेक की राशि सिर्फ निर्दिष्ट व्यक्ति के बैंक खाते में ही जाएगी।
  • नकद में पेमेंट नहीं होगी, जिससे धोखाधड़ी का खतरा कम हो जाता है।

चेक से जुड़े नियम जो हर खाताधारक को जानने चाहिए

  1. चेक तीन महीने के लिए वैध होता है।
  2. चेक पर सही तारीख, नाम और राशि (शब्दों और अंकों दोनों में) होना जरूरी है।
  3. बैंक में वही सिग्नेचर मान्य होता है, जो आपने खाता खोलते समय दिया था।
  4. किसी भी प्रकार की ओवरराइटिंग से चेक अमान्य हो सकता है।

चेक की सुरक्षा विशेषताएं

हर चेक में कुछ खास सुरक्षा फीचर्स होते हैं जैसे:

  • MICR कोड: चेक के नीचे छपा होता है, जिसमें बैंक शाखा और खाता संबंधित जानकारी होती है।
  • वॉटरमार्क: नकली चेक की पहचान करने में मदद करता है।
  • माइक्रोप्रिंटिंग और अदृश्य स्याही: जिससे नकली चेक बनाना मुश्किल हो जाता है।

डिजिटल युग में चेक की जगह क्या विकल्प हैं?

आजकल इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के कारण डिजिटल पेमेंट काफी आसान हो गए हैं। अब आप ये विकल्प चुन सकते हैं:

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  • UPI (Google Pay, PhonePe, आदि)
  • NEFT / RTGS / IMPS
  • Net Banking और Mobile Banking

इन तरीकों से ट्रांजैक्शन तेज़, सुरक्षित और ट्रैक करने योग्य होते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में – जैसे बड़ी रकम का भुगतान, दस्तावेज़ी सबूत आदि के लिए – चेक आज भी उपयोगी हैं।

चेक बाउंस होने पर क्या होता है?

चेक अगर बाउंस हो जाए यानी आपके खाते में पैसे न हों और आपने किसी को चेक दे दिया हो, तो गंभीर कानूनी मामला बन सकता है।

  • धारा 138 (Negotiable Instruments Act) के तहत केस हो सकता है।
  • सजा के रूप में जुर्माना या जेल भी हो सकती है।
  • आपकी क्रेडिट हिस्ट्री खराब हो सकती है, जिससे भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड मिलने में दिक्कत हो सकती है।

इसलिए:

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  • हमेशा अपने खाते में पर्याप्त राशि रखें।
  • यदि चेक बाउंस होने की संभावना हो, तो तुरंत सूचित करें और समाधान निकालें।

अगर आप चेक का इस्तेमाल करते हैं, तो इसके हर नियम और सावधानी को समझना बहुत जरूरी है। खासकर चेक के पीछे साइन करने का मामला थोड़ा संवेदनशील होता है क्योंकि एक छोटी सी गलती से बड़ा नुकसान हो सकता है।

हमेशा कोशिश करें कि आप क्रॉस्ड चेक ही दें और अगर कभी बियरर चेक या पीछे साइन करने की ज़रूरत पड़े, तो उसमें पूरा विवरण दें और सिर्फ भरोसेमंद व्यक्ति को ही चेक सौंपें।

आज के डिजिटल जमाने में चेक की जगह भले ही डिजिटल पेमेंट ने ले ली हो, लेकिन कुछ स्थितियों में इसका महत्व अब भी बना हुआ है। सही जानकारी और सावधानी के साथ आप इसका सुरक्षित और समझदारी से उपयोग कर सकते हैं।

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