RBI New Rule – चेक बाउंस एक ऐसी समस्या है, जिससे आम आदमी से लेकर व्यापारी तक सभी कभी न कभी परेशान होते हैं। पहले जब चेक बाउंस होता था, तो बैंक मनमाने ढंग से जुर्माना वसूलते थे। लेकिन अब RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नया आदेश जारी किया है जो आम खाताधारकों के लिए राहत की खबर लेकर आया है। इस नए नियम के अनुसार अब बैंकों को चेक बाउंस पर भारी-भरकम चार्ज लगाने की छूट नहीं होगी। तो आइए जानते हैं कि RBI का यह नया नियम क्या कहता है, इसके क्या फायदे हैं और आपको क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
चेक बाउंस पर RBI का नया आदेश क्या कहता है?
RBI ने साफ कर दिया है कि अब बैंकों को चेक बाउंस के मामलों में ग्राहक से सिर्फ “वाजिब सर्विस चार्ज” ही वसूलने की अनुमति है। इसका मतलब यह है कि पहले जहां बैंक ₹500, ₹750 या ₹1,000 तक वसूल लेते थे, अब ऐसा नहीं होगा। अब जो भी चार्ज लगेगा, वह तय सीमा के भीतर और पूरी पारदर्शिता के साथ लिया जाएगा।
मुख्य बातें:
- बैंक अब भारी पेनाल्टी नहीं लगा सकेंगे।
- सभी बैंक अपनी वेबसाइट पर चेक बाउंस से जुड़े चार्ज को डिस्क्लोज करेंगे।
- ग्राहकों को अब बिना जानकारी के शुल्क नहीं देना होगा।
- नया नियम 1 जुलाई 2025 से लागू होगा।
पहले क्या होता था?
पहले किसी का चेक बाउंस हो जाए तो ग्राहक से ₹350 से लेकर ₹1,000 तक का जुर्माना वसूल लिया जाता था। कुछ मामलों में ग्राहक को यह तक नहीं बताया जाता था कि किस वजह से पैसे काटे गए। न बैंक स्टाफ सही जानकारी देते थे, न वेबसाइट पर पारदर्शिता होती थी।
उदाहरण के तौर पर:
मेरे एक जानकार व्यापारी दोस्त ने सप्लायर को पेमेंट देने के लिए चेक दिया था। किसी टेक्निकल गड़बड़ी की वजह से चेक क्लियर नहीं हुआ और बैंक ने ₹590 काट लिए। जब उन्होंने ब्रांच में पूछा तो उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। अब RBI का नया नियम ऐसे लोगों के लिए बड़ी राहत है।
नए नियम से क्या होगा फायदा?
1. पारदर्शिता बढ़ेगी: अब ग्राहक जान पाएंगे कि बैंक ने कितने और क्यों पैसे काटे।
2. छोटे व्यापारियों को राहत: खासकर वो छोटे दुकानदार जो रोज़मर्रा के लेनदेन में चेक का इस्तेमाल करते हैं।
3. वरिष्ठ नागरिकों को फायदा: जिनके खाते में बैलेंस कम होता है, उन्हें अब मनमाना जुर्माना नहीं भरना पड़ेगा।
4. ग्रामीण इलाकों में राहत: जहां अभी भी डिजिटल ट्रांजैक्शन उतना नहीं होता, वहां चेक आम चलन में हैं।
किन परिस्थितियों में लगेगा चार्ज और कब नहीं?
स्थिति | शुल्क लगेगा या नहीं? |
---|---|
खाते में बैलेंस नहीं था | हां, वाजिब सेवा शुल्क लगेगा |
बैंक की गलती से चेक बाउंस हुआ | नहीं, कोई शुल्क नहीं |
ग्राहक ने गलत अकाउंट डिटेल भरी | हां, ग्राहक की गलती है |
बैंक के सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी | नहीं, बैंक जिम्मेदार होगा |
ग्राहकों को अब क्या करना चाहिए?
- अपने बैंक की वेबसाइट पर जाकर Service Charges की लिस्ट चेक करें।
- अगर चेक बाउंस होता है, तो पहले कारण जानें – बैंक से लिखित में मांगें।
- अगर आपको लगता है कि जुर्माना ज्यादा वसूला गया है, तो RBI के ग्राहक सेवा विभाग में शिकायत करें।
- चेक देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि खाते में बैलेंस हो, डिटेल्स सही भरी हों और साइन भी स्पष्ट हों।
क्या इस नियम से पुराने मामलों में रिफंड मिल सकता है?
अगर आपने पहले चेक बाउंस के नाम पर ज्यादा शुल्क भर दिया है, तो आप बैंक से इसकी लिखित जानकारी मांग सकते हैं। अगर बैंक जवाब नहीं देता या असहयोग करता है, तो आप RBI को ईमेल या शिकायत पोर्टल के ज़रिए संपर्क कर सकते हैं। हालांकि यह पूरी तरह बैंक की नीति पर निर्भर करता है कि वह पुराने केस में पैसा लौटाए या नहीं, लेकिन आप कोशिश जरूर कर सकते हैं।
यह नियम कब से लागू होगा?
1 जुलाई 2025 से यह नियम पूरे भारत में सभी बैंकों के लिए लागू होगा। इसमें सरकारी, प्राइवेट और ग्रामीण बैंक सभी शामिल हैं। सभी बैंकों को इसे मानना अनिवार्य है।
RBI का यह कदम वाकई आम ग्राहकों के हक में एक बड़ी पहल है। पहले चेक बाउंस एक ऐसा झंझट था, जो सिर्फ पेमेंट रुकने तक सीमित नहीं था, बल्कि उसमें जुर्माने की मार भी पड़ती थी। अब कम से कम बैंक को जवाबदेह बनाना आसान होगा। इस बदलाव से न सिर्फ पारदर्शिता आएगी, बल्कि ग्राहकों को अपने हक और अधिकार के बारे में भी जानकारी मिलेगी।
अगर आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि बैंक ने चुपचाप जुर्माना काट लिया हो, तो अब समय आ गया है कि आप सवाल करें। आखिरकार यह आपका पैसा है, और आपको यह जानने का पूरा हक है कि क्यों काटा गया।