DA Arrears News – सरकारी नौकरी करने वाले लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) एक बेहद जरूरी हिस्सा होता है। यह सिर्फ एक भत्ता नहीं बल्कि बढ़ती महंगाई के बीच राहत की सांस जैसा है। मगर जब बात हो उस भत्ते के 18 महीने के बकाए की, जो कोरोना काल में रोक दिया गया था, तो नाराज़गी और सवाल दोनों उठना लाजमी है।
काफी वक्त से कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे थे कि सरकार कभी तो इस मुद्दे पर कुछ बोलेगी, और अब आखिरकार सरकार ने चुप्पी तो जरूर तोड़ी है—but क्या इससे राहत मिली? चलिए जानते हैं विस्तार से।
कहां से शुरू हुआ ये पूरा मामला?
जनवरी 2020 से जून 2021 तक, यानी पूरे 18 महीनों तक DA की बढ़ोतरी को सरकार ने होल्ड पर रख दिया था। उस समय देश कोरोना संकट से जूझ रहा था और सरकार के पास सीमित संसाधन थे। खर्चों पर कंट्रोल रखने के लिए ये फैसला लिया गया था, जिसे कर्मचारियों ने समझा भी। लेकिन अब जब देश धीरे-धीरे सामान्य हो चुका है और आर्थिक हालात भी सुधर रहे हैं, तो ये सवाल उठना स्वाभाविक है कि – क्या अब भी वो बकाया नहीं मिलेगा?
जनवरी 2025 में बढ़ा DA, लेकिन बकाया कहां?
जनवरी 2025 से DA में 2% का इज़ाफा कर दिया गया है, जिससे अब कुल DA 55% हो गया है। इसकी बढ़ी हुई राशि अप्रैल 2025 की सैलरी के साथ मिल चुकी है। हालांकि ये खबर थोड़ी राहत जरूर देती है, लेकिन असली मुद्दा 18 महीने के बकाया का है, जो अभी भी हवा में झूल रहा है।
कर्मचारी संगठन कर रहे हैं लगातार दबाव
देशभर के कर्मचारी संगठन इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन, अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ और कई अन्य संगठन इस बात पर अड़े हुए हैं कि सरकार को ये बकाया जल्द से जल्द देना चाहिए। उनका कहना है कि ये सिर्फ पैसे का मामला नहीं, बल्कि कर्मचारियों के अधिकार का मामला है।
सुप्रीम कोर्ट का भी दिया गया हवाला
कुछ संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि किसी भी कर्मचारी का भत्ता रोका गया है तो सरकार को न सिर्फ उसे चुकाना चाहिए, बल्कि उस पर ब्याज भी देना चाहिए। कोर्ट ने पहले एक केस में 6% ब्याज देने की बात कही थी। लेकिन आज की तारीख तक सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस ऐलान नहीं हुआ है।
34,402 करोड़ का बोझ – क्या यही अड़चन है?
जानकारों का मानना है कि अगर सरकार 18 महीने का बकाया DA एरियर देती है, तो इस पर लगभग 34,402 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। यह रकम जरूर भारी है, लेकिन कर्मचारी संगठनों ने एक व्यावहारिक सुझाव भी दिया है – इस राशि को एकमुश्त न देकर किस्तों में दिया जाए या आने वाले DA में एडजस्ट किया जाए।
सरकार का रुख – आर्थिक हालात नहीं हैं ठीक
वित्त राज्य मंत्री ने संसद में जवाब देते हुए कहा कि सरकार का राजकोषीय घाटा FRBM एक्ट की तय सीमा से दोगुना है। यानी सरकार के पास फिलहाल पर्याप्त संसाधन नहीं हैं कि वह एक साथ इतना बड़ा भुगतान कर सके। साफ है कि सरकार इस मुद्दे को अभी प्राथमिकता नहीं दे रही है।
सुझाव आए, लेकिन अमल नहीं हुआ
कर्मचारी संगठनों ने कई व्यावहारिक सुझाव दिए थे जैसे कि बकाया को DA की अगली किस्तों में समायोजित किया जाए, लेकिन इन पर भी सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इससे साफ झलकता है कि फिलहाल इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
कर्मचारियों में बढ़ रही नाराजगी
सरकार के इस ठंडे रवैये से कर्मचारियों और पेंशनर्स में नाराजगी तेजी से बढ़ रही है। उनका कहना है कि जो उनका अधिकार है, उसके लिए उन्हें बार-बार मांग करनी पड़ रही है। कुछ संगठनों ने तो साफ तौर पर आंदोलन की चेतावनी भी दे दी है अगर जल्दी कोई निर्णय नहीं लिया गया।
क्या आगे है कोई उम्मीद?
जनवरी 2025 की DA बढ़ोतरी और उसका एरियर मिलना जरूर एक पॉजिटिव सिग्नल है। इससे एक हल्की सी उम्मीद जागी है कि शायद सरकार इस दिशा में भी कोई फैसला ले। लेकिन जब तक 18 महीने का बकाया DA नहीं मिलता, तब तक ये मुद्दा अधूरा ही रहेगा।
18 महीने का DA एरियर अब सिर्फ एक आंकड़ा या सरकारी फाइलों का हिस्सा नहीं रह गया है। यह लाखों कर्मचारियों के आत्मसम्मान और अधिकार से जुड़ा एक अहम मुद्दा बन चुका है। सरकार को चाहिए कि वो जल्द से जल्द इस पर विचार करे और कोई ठोस फैसला ले। क्योंकि ये मुद्दा जितना लटकाया जाएगा, उतनी ही नाराजगी बढ़ती जाएगी।
अब देखना यह है कि आने वाले महीनों में सरकार इस ओर कोई कदम उठाती है या फिर कर्मचारियों को अभी और इंतज़ार करना पड़ेगा।