Railway Senior Citizens Concessions – भारत में ट्रेन यात्रा सिर्फ एक सफर नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी का हिस्सा है। खासकर बुजुर्गों के लिए तो यह एकमात्र किफायती विकल्प होता है। कुछ साल पहले तक रेलवे सीनियर सिटिजन कंसेशन के तहत महिलाओं को 50% और पुरुषों को 40% की छूट मिलती थी। लेकिन जब से कोरोना आया, ये सुविधा एक झटके में बंद कर दी गई। अब सोशल मीडिया पर फिर से ऐसी खबरें उड़ रही हैं कि रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए किराया छूट फिर से शुरू कर दी है। पर क्या ये सच है? आइए जानते हैं आसान और कैजुअल भाषा में।
पहले मिलती थी राहत, अब बस यादें रह गईं
अगर आप या आपके परिवार में कोई 60 साल या उससे ज्यादा का है, तो आप जानते ही होंगे कि पहले ट्रेन टिकट पर कितनी बढ़िया छूट मिलती थी। महिला यात्रियों को 50% और पुरुषों को 40% तक की रियायत मिलती थी। ये छूट मेल, एक्सप्रेस और लंबी दूरी की ट्रेनों में लागू थी। कोई आधार कार्ड दिखाओ, टिकट बुक कराओ और सफर पर निकल पड़ो। लेकिन मार्च 2020 में जैसे ही कोरोना की एंट्री हुई, ये रियायत बंद कर दी गई।
सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है?
इन दिनों फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब पर बहुत सी पोस्ट्स वायरल हो रही हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि सीनियर सिटिजन्स के लिए रेलवे ने फिर से 50% तक की छूट शुरू कर दी है। कुछ लोग तो स्क्रीनशॉट तक शेयर कर रहे हैं कि टिकट बुकिंग के समय “सीनियर सिटिजन” सिलेक्ट करें और सीधा डिस्काउंट मिल जाएगा।
लेकिन दोस्तों, ये सब महज अफवाहें हैं।
रेलवे का क्या कहना है?
रेलवे और सरकार की तरफ से साफ तौर पर कहा गया है कि अभी तक सीनियर सिटिजन कंसेशन को बहाल करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। PIB और रेलवे मंत्रालय ने भी इन वायरल खबरों को फेक करार दिया है। संसद में भी इस मुद्दे को कई बार उठाया गया, लेकिन हर बार जवाब यही आया कि फिलहाल कोई छूट नहीं दी जा रही।
रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे हर यात्री को औसतन 46% की सब्सिडी पहले से ही दे रहा है। अगर फिर से सीनियर सिटिजन कंसेशन शुरू किया जाता है तो रेलवे पर वित्तीय बोझ और बढ़ जाएगा।
आंकड़ों से समझिए पूरी कहानी
- कोविड से पहले: महिला वरिष्ठ नागरिक – 50% छूट, पुरुष – 40% छूट
- कोविड के बाद: कोई भी छूट नहीं दी जा रही
- 2020 से 2025 के बीच: करीब 31 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों ने बिना छूट के सफर किया
- इससे रेलवे को करीब 8,900 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी हुई
क्यों मिली थी पहले ये छूट?
रेलवे द्वारा दी जाने वाली यह छूट सिर्फ रियायत नहीं, बल्कि समाज में बुजुर्गों को सम्मान देने का तरीका थी। खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बुजुर्ग तीर्थ यात्रा, रिश्तेदारों से मिलने या इलाज के लिए ट्रेन से ही सफर करते हैं। ये छूट उनके लिए बहुत बड़ी राहत होती थी।
अब क्या विकल्प हैं?
कई सामाजिक संगठन, रिटायर्ड कर्मचारी संघ और सांसद लगातार मांग कर रहे हैं कि कम से कम कुछ रूपों में यह छूट वापस लाई जाए। जैसे:
- सिर्फ स्लीपर या जनरल क्लास में छूट
- आर्थिक रूप से कमजोर वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता
- डिजिटल टिकट बुकिंग के साथ छूट पर निगरानी
- सीनियर सिटिजन ID के साथ ऑटोमैटिक छूट सिस्टम
हालांकि, रेलवे अब तक इन सुझावों पर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है।
दिव्यांगजन और मरीजों को अभी भी छूट
जहां बुजुर्गों की छूट बंद हो चुकी है, वहीं दिव्यांगजनों, छात्रों और गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को अब भी टिकट पर 50% से 100% तक की छूट मिलती है। इसका मतलब यह है कि रेलवे पूरी तरह से छूट खत्म नहीं कर रहा, बस चुनिंदा वर्गों के लिए यह सुविधा जारी है।
फिलहाल राहत नहीं, उम्मीद जरूर बाकी
तो दोस्तो, साफ है कि 2025 में सीनियर सिटिजन के लिए कोई रेलवे टिकट छूट लागू नहीं है। सोशल मीडिया पर जो खबरें उड़ रही हैं, वो पूरी तरह से गलत और भ्रामक हैं। रेलवे ने न तो कोई घोषणा की है और न ही वेबसाइट पर ऐसी कोई सुविधा शुरू की है। ऐसे में किसी भी वायरल पोस्ट पर आंख बंद करके भरोसा ना करें। टिकट बुक करने से पहले हमेशा रेलवे की ऑफिशियल वेबसाइट या भरोसेमंद न्यूज पोर्टल पर जानकारी जरूर जांचें।
उम्मीद की एक किरण
हालांकि सरकार और रेलवे ने अभी तक छूट बहाल करने का कोई संकेत नहीं दिया है, लेकिन भविष्य में जैसे ही रेलवे की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी, संभव है कि एक बार फिर बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान लौट आए। तब तक तो आपको और हम सबको पूरा किराया चुकाना ही पड़ेगा।
तो अगली बार जब आप टिकट बुक करने जाएं, तो सिर्फ उम्र दर्ज करने से छूट की उम्मीद मत रखें। सच्चाई जानिए और दूसरों को भी भ्रमित खबरों से बचाइए।